The students of BIT Sindri have done wonders:आधुनिक लूनर रोवर ‘रुद्र’ बनाकर इसरो की प्रतियोगिता में पाया 146वां स्थान

The students of BIT Sindri have done wonders! आधुनिक लूनर रोवर ‘रुद्र’ बनाकर इसरो की प्रतियोगिता में पाया 146वां स्थान

The students of BIT Sindri have done wonders:आधुनिक लूनर रोवर 'रुद्र' बनाकर इसरो की प्रतियोगिता में पाया 146वां स्थान

The students of BIT Sindri have done wonders!

Dhanbad:

इसरो के वैज्ञानिकों ने 22 जुलाई 2019 को चांद पर प्रज्ञान रोवर का सफल प्रक्षेपण कर भारत के वैज्ञानिक कौशल का प्रदर्शन किया। प्रज्ञान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर घूमकर आंकड़े एकत्र करना था, और इसे चंद्रयान 2 मिशन के तहत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतारा गया था।

इसी प्रेरणा से, बीआईटी सिंदरी के द्वितीय वर्ष के छात्रों की टीम “आदिशक्ति” ने “रुद्र” नामक एक उन्नत रोवर का निर्माण किया है। इस रोवर में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह चंद्रमा की सतह पर स्वायत्त रूप से काम कर सकेगा। रुद्र को इसरो द्वारा अगस्त 2024 में आयोजित प्रतियोगिता में शामिल किया जाएगा। आदिशक्ति टीम का यह प्रयास भारत के रोबोटिक्स और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इससे छात्रों को अपने कौशल और ज्ञान को प्रदर्शित करने का उत्कृष्ट अवसर मिलेगा।

The students of BIT Sindri रोवर का निर्माण और उपयोगिता:

रुद्र रोवर को बनाने वाली टीम “आदिशक्ति” के कप्तान, प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र हर्ष भार्गव ने बताया कि इसे इसरो के चंद्रयान 4 मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है। मिशन के अनुसार, यह आधुनिक रोवर बिना मानव सहयोग के चंद्रमा से सैंपल की खोज कर उन्हें पृथ्वी तक लाने में सक्षम होगा। इसमें बीआईटी सिंदरी की आदिशक्ति टीम भी अपना योगदान देगी।

रोवर की कार्यक्षमता:

रोवर रुद्र मानव सहयोग के बिना भी कार्य कर सकता है। अंधेरे में इसके कैमरे की कार्यशैली को इस मिशन में विशेष महत्व दिया गया है। हर्ष ने बताया कि यह प्रतियोगिता नवंबर 2023 से जारी है। इसके प्रथम चरण में रोवर निर्माण के लिए 30 पन्नों का प्रपोजल इसरो को सौंपा गया था। दूसरे चरण में इसके निर्माण और कार्यविधि का वीडियो भेजा जा रहा है। आधुनिक तकनीक से बना यह रोवर फिलहाल पृथ्वी के वायुमंडल के अनुसार कार्य करेगा और अगले चरण में इसे चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के अनुसार तैयार किया जाएगा।

The students of BIT Sindri have done wonders:विशेषताएं:

यह रोवर प्रज्ञान की तरह ही स्वायत्त है। इसका वजन 40 किलोग्राम से कम रखा गया है। इसमें रोबोटिक आर्म के द्वारा वजन उठाना, 150 ग्राम के क्यूब को पार करना, 300 ग्राम के क्यूब से बचकर निकलना, और गढ्ढों को पार करने जैसी नौ शर्तें शामिल हैं।

रोवर के निर्माण में अद्वितीयता:

बीआईटी सिंदरी के सीएनसी मशीन एंड रोबोटिक लैब के प्रोफेसर इन चार्ज प्रकाश कुमार ने बताया कि रोवर के सभी पार्ट्स बीआईटी सिंदरी के लैब में बनाए गए हैं। यह रोवर लगभग दो किलोग्राम तक का वजन उठाने में सक्षम है और इसकी स्पीड 3 सेमी प्रति सेकेंड से अधिक है। रोवर के चक्कों का निर्माण भी प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग लैब में ही किया गया है, जिसमें एक चक्के को 3D प्रिंट करने में लगभग 40 घंटे का समय लगा।

प्रोजेक्ट की सफलता:

संस्थान के निदेशक डॉ. पंकज राय ने इस उपलब्धि के लिए आदिशक्ति टीम को बधाई दी और कहा कि इसरो की प्रतियोगिता में देश की 60 हजार प्रतिभागी टीमों में बीआईटी सिंदरी की टीम ने 146वां स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट में बिटसा इंटरनेशनल और संस्थान ने मदद की है। छात्रों की सफलता को सराहते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट उनके करियर में मील का पत्थर साबित होगा। सीएंडसी सेल के हेड डॉ. घनश्याम भी टीम को बधाई देने वालों में शामिल रहे।

टीम के सदस्य:

रुद्र रोवर के निर्माण में आदिशक्ति की टीम में प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र सह टीम कप्तान हर्ष भार्गव और साहिल सिंह, सिविल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र सह उपकप्तान निशिकांत मंडल और मनीष कुमार महतो, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र अरमान सिंह और प्रथम वर्ष के छात्र रौशन राज, मेकेनिकल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र आनंद कुमार पासवान, और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र आनंद श्रेष्ठ शामिल हैं।

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